ध्य पूर्व में जारी तनाव के बीच इज़रायल ने यमन की राजधानी सना में स्थित हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर कड़ा हवाई हमला किया है। इन हमलों में इज़रायली वायुसेना ने हूतियों के ऊर्जा केंद्रों, गैस स्टेशनों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इस कार्रवाई के बाद इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री इज़रायल काट्ज वायुसेना के कमांड सेंटर पहुंचे और मिशन की समीक्षा की।
नेतन्याहू ने इस ऑपरेशन को सफल बताते हुए साफ कर दिया कि अगर हूती विद्रोही इज़रायल पर हमले जारी रखते हैं, तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
🚀 इज़रायली हमले में सना को भारी नुकसान
IDF (इज़रायली डिफेंस फोर्स) ने जानकारी दी कि इस ऑपरेशन में यमन की राजधानी सना के कई महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनमें प्रमुख रूप से:
हमले के बाद पूरे शहर में धुएं के गुबार देखे गए और कई इलाकों में बिजली और ईंधन आपूर्ति बाधित हो गई है।
⚠️ नेतन्याहू की चेतावनी: "हम तैयार हैं"
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमले के बाद एक बयान में कहा:
"जो हम पर हमला करेगा, हम उसे जवाब देंगे। जो हमला करने की योजना बनाएगा, उसके लिए हम पहले से तैयार रहेंगे।"
उन्होंने इज़रायली वायुसेना के पायलटों और कमांडर को सफल मिशन के लिए बधाई दी और बताया कि सभी लड़ाकू विमान सुरक्षित वापस लौट आए हैं। साथ ही उन्होंने हूती शासन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इज़रायल के खिलाफ हमले जारी रहे, तो कार्रवाई और अधिक तीव्र होगी।
🔥 क्यों भड़का इज़रायल?
इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि में यमन से इज़रायल की ओर लगातार हो रही ड्रोन और मिसाइल हमले हैं, जिनके पीछे हूती विद्रोहियों का हाथ माना जा रहा है। हाल ही में यमन के सना से इज़रायली सीमाओं की ओर लॉन्च किए गए मिसाइलों ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया था।
इस संदर्भ में इज़रायल ने चेतावनी दी थी कि यमन से आने वाले हर खतरे का जवाब सीधे हूती शासन के ठिकानों पर हमले के रूप में दिया जाएगा।
🌍 क्षेत्रीय तनाव और असर
इज़रायल और यमन के हूती विद्रोहियों के बीच बढ़ता यह तनाव मध्य पूर्व में एक नई जंग की आशंका को जन्म दे रहा है। हूती, जो कि ईरान समर्थित माने जाते हैं, लंबे समय से यमन में सऊदी अरब और अन्य गठबंधन देशों के खिलाफ लड़ते आ रहे हैं। अब इज़रायल के साथ सीधा टकराव इस संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और जटिल बना सकता है।
🛡️ निष्कर्ष
इज़रायल की ओर से यमन पर किया गया यह हमला सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है—कि उसकी सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री नेतन्याहू का स्पष्ट संदेश है कि इज़रायल अपने नागरिकों और सीमाओं की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा, चाहे उसके लिए उसे दूर-दराज के दुश्मनों पर भी कार्रवाई क्यों न करनी पड़े।
यह ऑपरेशन दर्शाता है कि इज़रायल की सुरक्षा नीति आक्रामक और पूर्व-सक्रिय (preemptive) होती जा रही है, और वह किसी भी खतरे को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा—चाहे वह खतरा सीमाओं के बाहर कितनी भी दूर क्यों न हो।